दूसरों को शिक्षा देने से पहले स्वयं को सुधारें : माता सुदीक्षा

 




    नोएडा ( अमन इंंडिया )। दूसरों को शिक्षा देने से पहले स्वयं को सुधारें। यदि हम संत निरंकारी मिशन के अनुयायी हैं और आध्यात्मिक जागरुकता पर आधारित मानवीय गुणों के प्रति दूसरों को प्रेरणा देना चाहते हैं तो पहले हमें अपने मन को बदलना होगा। अपने जीवन में बदलाव लाना होगा। वास्तव में हम मिशन के प्रीत.प्यार,  नम्रता,  विशालता, करुणाा,  दया और सहनशीलता के संदेश का प्रचार तभी कर पायेंगे जब ये सभी गुण हमारे व्यवहार में आ जायेंगे। यदि हम निरंकार को सदा अपने अंग.संग मानते हैं तो हम अपने जीवन के छोटे.मोटे उतार चढ़ाव में अटक नहीं जायें बल्कि उसे निरंकार की मर्जी मानकर आगे बढ़ते रहें। 


यह उद्गार सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने  निरंकारी भक्तों के एक विशाल सत्संग कार्यक्रम में व्यक्त किए। यह विशेष कार्यक्रम मिशन के पूर्व सद्गुरु माता सविंदर हरदेव जी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित करने तथा उनके जीवन एवं शिक्षाओं से प्रेरणा लेने के लिए आयोजित किया गया था। सद्गुरु माता सविंदर हरदेव जी ने 5 अगस्तए 2018 को अपनी जीवन यात्रा सम्पन्न की जबकि उससे पहले 16 जुलाई को उन्होंने सद्गुरु की सभी शक्तियाँ अपनी सबसे छोटी बेटी परम पूज्य सुदीक्षा जी को प्रदान कर दी थी। 
 इस सद्गुरु माता सुदीक्षा जी ने कहा कि माता सविंदर हरदेव जी हमें बचपन से ही यह शिक्षा देते रहे कि हमें अपनी पहचान साध संगत को बनाना है और अपने जीवन में अन्य सभी कार्यों से सत्संग को प्राथमिकता देनी है। वह जब अस्वस्थ भी थे तो अपना अधिक से अधिक समय सत्संग के लिये देते रहे। वह कहते थे कि यह बीमारी तो ईश्वर का अपना निर्णय है। हम कभी ना सोचें कि निरंकार ने कुछ गलत किया है क्योंकि निरंकार का किया सब पूर्ण होता है। अतः हमें ब्रह्मज्ञान के इस प्रकाश को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का प्रयास जारी रखना है क्योंकि आज भी अनगिनत रूहें अज्ञान के अंधकार में विचरण कर रही हैं।