अवीवा इंडिया कोविड19 के बाद उद्योग अपने डिजिटल सफर को गति देगा। 

नई दिल्ली(अमन इंडिया) । कोविड-19 के बाद इंश्योरेंस उद्योग अपने डिजिटल सफर को गति देगा


द्वारा - अंजलि मल्होत्रा, चीफ कस्टमर, मार्केटिंग, डिजिटल एवं आईटी ऑफिसर, अवीवा इंडिया


पिछले कुछ माह लोगों के लिए अप्रत्याशित व चुनौतीपूर्ण रहे। 1918 में स्पैनिश फ्लू के बाद हमारे सामने अब तक की सबसे गंभीर महामारी की चुनौती आई। कोविड-19 के तेजी से फैलने के चलते भारत सहित अनेक देशों को लॉकडाऊन लगाना पड़ा। इसकी वजह से दैनिक जीवन एवं आर्थिक गतिविधियों पर लगभग विराम लग गया। जहां पहला फोकस सोशल डिस्टैंसिंग एवं पर्याप्त टेस्टिंग द्वारा इस वायरस को फैलने से रोकने पर रहा, वहीं हमें अर्थव्यवस्था को चलाते रखने तथा लोगों को आवश्यक सामान की आपूर्ति बनाए रखने के रास्ते भी तलाशने पड़े। सरकार के साथ व्यवसायों की इसमें मुख्य भूमिका रही।


व्यवसायों एवं अन्य महत्वपूर्ण संपत्तियों की सुरक्षा के लिए इंश्योरेंस के महत्व के चलते इस उद्योग को व्यवसाय की निरंतरता बनाए रखने, सर्विस की क्वालिटी बनाए रखने एवं उसमें सुधार करते रहने के वैकल्पिक रास्ते तलाशना आवश्यक हो गया। इस उद्योग ने डिजिटाईज़ेशन की ओर बड़ी प्रगति की है, लेकिन कोविड-19 ने सभी कंपनियों को अपनी इस प्रगति की गति तेज करने के लिए प्रोत्साहित किया है, ताकि उनका यह सफर कुछ ही दिनों में पूरा हो जाए। नीचे कुछ बड़े परिवर्तन दिए गए हैं, जो हमने दर्ज किए हैं :-


डिजिटल संवाद की क्षमताएं : भारत में विकसित देशों के मुकाबले वित्तीय साक्षरता की कमी है, इसलिए एजेंट एवं ग्राहक के बीच आमने सामने की बातचीत का कोई दूसरा विकल्प नहीं। हालांकि पॉलिसीधारकों के लिए सेल्फ सर्विस पोर्टल्स क्रांतिकारी साबित हो रहे हैं और उन्हें कनेक्ट होने एवं संवाद करने का तीव्र व आसान तरीका प्रदान कर रहे हैं। ये पोर्टल समझदार व रिस्पॉन्सिव डिज़ाईन पर बने हैं और इन्हें वेब ब्राउज़र या मोबाईल एप्लीकेशन द्वारा आसानी से एक्सेस किया जा सकता है। इसके अलावा लोगों के इसके अभ्यस्त हो जाने के बाद प्रीमियम का भुगतान, क्लेम एवं ग्राहकों के अन्य निवेदन भी जल्द ही बढ़ेंगे। इसलिए जो ग्राहक ‘माई अवीवा’ सेल्फ-सर्विस पोर्टल का उपयोग नहीं कर रहे हैं, उन्हें इसका प्रोत्साहन देने के लिए हमने एक एसएमएस अभियान चलाया। इस अभियान से रजिस्ट्रेशंस में 98 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हमारे पोर्टल द्वारा प्रीमियम के भुगतान में भी काफी वृद्धि हुई।


बीमाकर्ताओं की बढ़ती संख्या के अनुरूप अपने कॉल सेंटर के कार्यकलाप भी मजबूत करने होंगे। इसका मतलब यह है कि नए युग के समाधान, जैसे क्लाउड टेलीफोनी, एआई पॉवर्ड चैटबॉट्स, व्हाट्सऐप आधारित रिस्पॉन्स एवं इंटरैक्टिव वॉईस रिस्पॉन्स आदि का उपयोग करना होगा। इसलिए इनके लिए निवेश की आवश्यकता है क्योंकि इससे खर्च कम हो सकेगा एवं ग्राहकों के अनुभव में सुधार आएगा।


आंतरिक कार्यों के लिए ज्यादा सहयोग : ऐसा वातावरण, जिसमें ज्यादा कर्मचारी दूर बैठकर काम कर सकें, उसके विकास के लिए डिजिटल--ओनली दृष्टिकोण में परिवर्तन अनिवार्य हो जाता है। तकनीक उन्हें वीडियो कॉल्स पर कनेक्ट होने, दस्तावेज साझा करने एवं सहयोग करने तथा कई अन्य कार्य करने में मदद करती है। इससे उनका कार्य ज्यादा प्रभावशाली होता है तथा वो ग्राहकों से जुड़कर व्यवसाय को ऑनलाईन चला पाते हैं। हालांकि बीमाकर्ताओं को इस नई व्यवस्था के लिए अपने कार्यबल का कौशल बढ़ाने की जरूरत है। एक बार नियुक्ति सामान्य होने के बाद मानव संसाधन विभाग ऐसे लोगों को आकर्षित करने पर बल देगा, जिनमें टेक्नॉलॉजी के प्रति स्वाभाविक झुकाव हो।


साईबर रिस्क मैनेजमेंटः डिजिटल विनिमय एवं लेनदेन की ओर विस्तृत परिवर्तन के साथ साईबर रिस्क जैसी अनेक चुनौतियां भी सामने आएंगी, जो कंपनी के आंतरिक डेटा एवं ग्राहकों के डेटा को प्रभावित कर सकती हैं। उदाहरण के लिए कंपनी के सिस्टम में लॉग इन करने के लिए ऑपरेशंस टीम के पास वर्चुअल प्राईवेट नेटवर्क होगा। यदि ऐसे नेटवर्क की गहन निगरानी न की जाए, तो इसमें कमियां हो सकती हैं, जिसका फायदा हैकर्स उठा सकते हैं। इसलिए हमें सिक्योरिटी प्रोटोकॉल्स का पालन ज्यादा मजबूती से करना होगा और साईबरसिक्योरिटी टेक्नॉलॉजी का कठोरता से उपयोग करना होगा। हैकर्स के प्रयासों को पहले ही ध्वस्त करने के लिए प्रेडिक्टिव रिस्क मैनेजमेंट टेक्नॉलॉजी का उपयोग अत्यधिक आवश्यक होगा।